शिक्षा के मुद्दे उठाने वाली संस्था गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन से जिलाधिकारी की बेरुखी क्यो ?
Twitter app · Installed Ghaziabad Parents association 037811 (@gpa037811) / Twitter गाजियबाद पेरेंट्स एसोसिएशन देश के प्रत्येक बच्चे को सस्ती एवं सुलभ शिक्षा के सपने को ... Missing: उठाने वाली संस्था बेरुखी

जिलाधिकारी ने शिक्षा के मुद्दे से बचने के लिये जीपीए का ट्विटर हैंडल किया ब्लॉक।
गाजियाबाद के जिलाधिकारी सहित शिक्षा विभाग के उच्चतम अधिकारियों एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी जरुरतमंद विद्यार्थियों के प्रति उदासीनता दिखाते हुए निजी स्कूलों द्वारा ई डब्ल्यू एस कोटे में भर्ती न होने पर चुप्पी साध रखी है,
इस अहम मुद्दे सहित शिक्षा के बढ़ते व्यापारिकर्ण पर रोक , देश एवम प्रदेश के सरकारी स्कूलों को बेहतर करने की आवाज उठाने , निजी स्कूलों की मनमानियों पर अंकुश लगाने की मांग को प्रखरता से उठाने वाली गाज़ियाबाद पेरेंट्स की आवाज और आगाज को नजरअंदाज क्यों किया जाता है यह जाँच का विषय हो सकता है
यदि प्रदेश सरकार , शासन , प्रशासन मिलकर शिक्षा माफ़िया पर अंकुश लगाने की ठान ले तो निश्चित ही शिक्षा के बढ़ते व्यापर पर अंकुश लगाया जा सकता है लेकिन फिलहाल तो यह लगता कि शिक्षा पर प्रश्न सुनने का मन ही नहीं है
और शिक्षा के अहम मुद्दे पर कुछ न सुनना पड़े तो इसके लिये जिलाधिकारी महोदय ने अपने आधिकारिक ट्विटर से जीपीए के ट्विटर हैंडल को ब्लॉक कर रखा है। यह कृत्य न केवल आश्चर्य जनक है साथ ही सामाजिक संगठनों की अवहेलना कर प्रशासन द्वारा कर्तव्यनिष्ठा से पीछे हट पीठ दिखाने जैसा है।
बता दें कि जब हम भी dm_ghaziabad नामक ट्विटर हैंडल पर झांकने गये तो पता चला गाज़ियाबाद जिलाधिकारी केवल चुनाव तक ही सक्रिय थे। 10 फ़रवरी के बाद से सोशल मीडिया से नदारद क्यों? चुनाव के बाद सब काम की छुट्टी? या सोशल मीडिया तब तक ही आवश्यक थी जब तक गाज़ियाबाद में चुनाव हो रहे थे।
या यह समझें हाथी के दांत दिखाने के लिये कुछ और खाने के लिए कुछ और? यह प्रश्न उठता है और जनता के सेवकों को इसका उत्तर शासन को, जनता को, और गाज़ियाबाद पैरेंट्स असोसिएशन जैसे संगठनों को देना चाहिए।
अब प्रशन यह उठता है कि जिले की बागडोर सभालने वाले जिलाधिकारी महोदय गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के ट्विटर हैंडल को अनब्लॉक कर शिक्षा के मुद्दे को सोशल मीडिया पर सुनने की सजगता दिखायेगे या अपनी बेरुखी जारी रखेंगे ।
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